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विवरण

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा संचालित स्वाधार गृह योजना, विषम परिस्थितियों से ग्रसित महिलाओं के लिए लक्षित है, जिनको पुनर्वास के लिए संस्थागत सहयोग की आवश्यकता होती है ताकि वे सम्मानपूर्वक अपना जीवन व्यतीत कर सकें। इस योजना के अंतर्गत, इन महिलाओं के लिए आश्रय, भोजन, वस्त्र एवं स्वास्थ्य तथा इसके अतिरिक्त आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की परिकल्पना की गई है।
 

लाभार्थी

निम्नांकित श्रेणियों में 18 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं द्वारा घटक का लाभ प्राप्त किया जा सकता है:
  1. बेसहारा, एवं किसी सामाजिक एवं आर्थिक सहायता से वंचित महिलाएं।
  2. प्राकृतिक आपदाओं में जीवित बची, एवं किसी सामाजिक एवं आर्थिक सहायता से वंचित महिलाएं;
  3. जेल से रिहा महिलाएं, एवं किसी सामाजिक एवं आर्थिक सहायता से वंचित महिलाएं।
  4. घरेलू हिंसा, पारिवारिक तनाव या कलह की शिकार होने वाली महिलाएं, जिन्हें अपना घर छोड़ना पड़ा हो और जिनके पास जीवननिर्वाह का कोई साधन न हो, एवं जिन्हें वैवाहिक विवादों के कारण उत्पीड़न से कोई विशेष सुरक्षा न हो और/या मुकदमेबाजी का सामना करना पड़ रहा हो, और
  5. मानव तस्करी की शिकार तथा छुड़ाई गई, या वेश्यालयों या अन्य ऐसे स्थानों से भागी हुई महिलाएं/ बालिकाएं, जहां उनका शोषण होता हो एवं एच.आई.वी./एड्स से प्रभावित महिलाएं जिन्हें कोई सामाजिक या आर्थिक सहायता प्राप्त न हो। हालांकि ऐसी महिलाओं/ बालिकाओं को उन क्षेत्रों में पहले उज्ज्वला योजना के अंतर्गत सहायता लेनी चाहिए जहां यह संचालित है।
  6. घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाएं एक वर्ष तक रह सकती हैं। अन्य श्रेणियों की महिलाओं के लिए अधिकतम ठहराव अवधि 3 वर्ष तक की हो सकती है। 55 वर्ष से अधिक आयु की वृद्ध महिलाओं को अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए समायोजित किया जा सकता है, जिसके पश्चात उन्हें वृद्धाश्रम या ऐसे ही संस्थानों में स्थानांतरित किया जाएगा।
 
उपरोक्त श्रेणियों वाली महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी स्वाधार गृह की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। 18 वर्ष की आयु तक की बालिकाओं एवं 8 वर्ष की आयु तक के बालकों को उनकी माताओं के साथ स्वाधार गृह में रहने की अनुमति होगी। (8 वर्ष से अधिक आयु के बालकों को जे.जे. अधिनियम/आई.सी.पी.एस. के अंतर्गत संचालित बाल गृहों में स्थानांतरित किया जाना होगा।
 

उद्देश्य

इस योजना के अंतर्गत निम्नांकित उद्देश्यों के साथ, प्रत्येक जिले में 30 महिलाओं की क्षमता वाले स्वाधार गृह की स्थापना की जाएगी:
    1. संकटग्रस्त, तथा किसी भी सामाजिक एवं आर्थिक सहायता से वंचित महिलाओं के लिए आवास, भोजन, वस्त्र, चिकित्सा उपचार एवं उनकी देखभाल की प्राथमिक आवश्यकताएं पूरी करना।
    2. दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने के कारण बाधित भावनात्मक सुदृढ़ता को पुनः प्राप्त करने में उन्हें सक्षम बनाना।
    3. परिवार/समाज में उनके पुनर्समायोजन के लिए उन्हें कदम उठाने हेतु सक्षम बनाने के लिए विधिक सहायता एवं मार्गदर्शन प्रदान करना।
    4. उनका आर्थिक एवं भावनात्मक पुनर्वास करना।
    5. संकटग्रस्त महिलाओं की विभिन्न आवश्यकताओं को समझने एवं उन्हें पूरा करने वाली एक सहायक प्रणाली के रूप में कार्य करना।
    6. उन्हें गरिमा एवं आत्मबल के साथ अपने जीवन को नए सिरे से शुरू करने में सक्षम बनाना।
 

कार्यनीतियां

निम्नांकित कार्यनीतियां अपनाकर उपरोक्त उद्देश्यों को पूरा किया जाएगा:
  1. भोजन, वस्त्र, चिकित्सा सुविधाओं आदि के प्रावधान के साथ अस्थायी आवासीय सुविधा।
  2. ऐसी महिलाओं के आर्थिक पुनर्वास के लिए व्यावसायिक एवं कौशल उन्नयन प्रशिक्षण।
  3. परामर्श, जागरूकता सृजन एवं व्यवहार प्रशिक्षण।
  4. विधिक सहायता एवं मार्गदर्शन
  5. टेलीफोन द्वारा परामर्श
 

फ़ायदे

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  1. घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाएं एक वर्ष तक रह सकती हैं।
  2. अन्य श्रेणियों की महिलाओं के लिए अधिकतम ठहराव अवधि 3 वर्ष तक की हो सकती है।
  3. 55 वर्ष से अधिक आयु की वृद्ध महिलाओं को अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए समायोजित किया जा सकता है, जिसके पश्चात उन्हें वृद्धाश्रम या ऐसे ही संस्थानों में स्थानांतरित किया जाएगा।
  4. उपरोक्त श्रेणियों वाली महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी स्वाधार गृह की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
  5. 18 वर्ष की आयु तक की बालिकाओं एवं 8 वर्ष की आयु तक के बालकों को
  6. स्वाधार गृह में उनकी माताओं के साथ रहने की अनुमति होगी। (8 वर्ष से अधिक उम्र के बालकों को
  7. जे.जे. अधिनियम/आई.सी.पी.एस. के अंतर्गत संचालित बाल गृहों में स्थानांतरित किया जाएगा।)

 

आवास के अलावा अन्य प्रकार की सेवाएं

  1. विधिक सेवाएं
  2. व्यवसायिक प्रशिक्षण
  3. चिकित्सकीय सुविधाएं
  4. परामर्श
 

पात्रता

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    1. घरेलू हिंसा से प्रभावित महिलाएं एक वर्ष तक रह सकती हैं।
    2. अन्य श्रेणियों की महिलाओं के लिए अधिकतम ठहराव अवधि 3 वर्ष तक की हो सकती है।
    3. 55 वर्ष से अधिक आयु की वृद्ध महिलाओं को अधिकतम 5 वर्ष की अवधि के लिए समायोजित किया जा सकता है, जिसके पश्चात उन्हें वृद्धाश्रम या ऐसे ही संस्थानों में स्थानांतरित किया जाएगा।
    4. उपरोक्त श्रेणियों वाली महिलाओं के साथ उनके बच्चे भी स्वाधार गृह की सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं।
    5. 18 वर्ष की आयु तक की बालिकाओं एवं 8 वर्ष की आयु तक के बालकों को उनकी माताओं के साथ स्वाधार गृह में रहने की अनुमति होगी। (8 वर्ष से अधिक आयु के बालकों को जे.जे. अधिनियम/आई.सी.पी.एस. के अंतर्गत संचालित बाल गृहों में स्थानांतरित किया जाना होगा।
 

अपवाद

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आवेदन प्रक्रिया

ऑफलाइन
हिंसा से प्रभावित महिला निम्नांकित तरीके से ओ.एस.सी. तक पहुंच सकती है:
 
  1. स्वयं;
  2. किसी लोकहित प्रेरित नागरिक, लोक सेवक (भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 21 के अंतर्गत परिभाषित), संबंधी, मित्र, गैर सरकारी संगठन, स्वयंसेवक आदि सहित किसी व्यक्ति के माध्यम से।
  3. पुलिस, एम्बुलेंस एवं अन्य आपातकालीन प्रतिक्रिया हेल्पलाइन के साथ एकीकृत महिला हेल्पलाइन के माध्यम से।
 
आवेदक निर्देशिका वेबसाइट पर जाकर अपने अवस्थान के अनुसार हेल्पलाइन से संपर्क कर सकते हैं।
 

आवश्यक दस्तावेज़

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आवश्यक दस्तावेजों की जानकारी आपको सहायता केंद्र द्वारा सूचित की जाएगी।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

किस प्रकार की कानूनी सहायता प्रदान की जाती है?

एक सेवा के रूप में व्यावसायिक प्रशिक्षण का क्या अर्थ है?

सेवा के रूप में किस प्रकार की चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाती हैं?

परामर्श सुविधा का क्या अर्थ है?

क्या कोई आवेदन प्रक्रिया है?

मुझे नहीं पता, स्वाधार गृह कहाँ हैं?



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