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विवरण

अल्पसंख्यक युवाओं की शैक्षिक योग्यता के आधार पर विभिन्न आधुनिक/पारंपरिक व्यवसायों में उनके कौशल का उन्नयन करना, इस योजना का उद्देश्य है। वर्तमान आर्थिक रुझान एवं बाजार की संभावनाएं, जो उन्हें उपयुक्त रोजगार प्रदान कर सकती हैं या उन्हें स्वरोजगार के लिए समुचित कुशल बना सकती है।
 

दायरा

नई परियोजनाओं के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय एन.एस.क्यू.एफ के अनुरूप कौशल विकास कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम संचालित करेगा। यह योजना आधुनिक वृत्तियों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदान करेगी जिसके लिए प्रशिक्षण को एन.एस.क्यू.एफ से जोड़ा जाएगा एवं एन.एस.डी.सी के स्मार्ट पोर्टल के माध्यम से मान्यता एवं संबद्धता वाले प्रशिक्षण साझेदार, सीखो एवं कमाओ के लिए पी.आई.ए होंगे।
 

उद्देश्य

  1. 14वें वित्त आयोग के दौरान अल्पसंख्यकों की बेरोजगारी दर में कमी लाना।
  2. अल्पसंख्यकों के आधुनिक एवं पारंपरिक कौशलों का संरक्षण एवं उन्नयन करना एवं
  3. रोजगार बाज़ार के साथ उनके संबंध प्रतिष्ठित करना।
  4. वर्तमान श्रमिकों, स्कूल छोड़ देने वालों आदि की रोजगारपरकता बेहतर बनाना एवं उनके नियोजन सुनिश्चित करना।
  5. सीमांतकृत अल्पसंख्यकों के लिए आजीविका के बेहतर उपाय उत्पन्न करना एवं उन्हें मुख्यधारा से जोड़ना।
  6. वृद्धिशील बाजार में अवसरों का लाभ उठाने के लिए अल्पसंख्यकों को सक्षम बनाना।
  7. देश के लिए संभावनाशील मानव संसाधन विकसित करना।
 

 

 

 

 

फ़ायदे

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    1. आधुनिक व्यापारों के लिए नियोजन संबंधित (प्लेसमेन्ट लिंक्ड) कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम
      • ये प्रशिक्षण कार्यक्रम, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम या एन.एस.डी.सी द्वारा निर्दिष्ट किसी संस्था द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रमों के अनुरूप हैं।
      • प्रशिक्षण कार्यक्रमों में, ज़रूरत के अनुसार सॉफ्ट स्किल्स प्रशिक्षण, आधारभूत आई.टी प्रशिक्षण, आधारभूत अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण एवं अन्य कौशलों को एम.ओ.एम.ए के निर्णयानुसार सम्मिलित किया जाएगा।
      • प्रत्येक प्रतिभागी को अपनी योग्यता एवं क्षमता के आधार पर, इस कार्यक्रम के अंतर्गत उपलब्ध सेक्टर-विशिष्ट व्यावसायिक कौशल कार्यक्रम में विकल्प चुनकर प्रशिक्षण प्राप्त करना होगा।
    2. पारंपरिक वृत्तियों/शिल्प/कला स्वरूपों के लिए कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम।
      1. प्रशिक्षुओं में वांछित रोजगारपरकता के परिणाम प्राप्त करना सुनिश्चित करने के लिए, कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम को निम्नांकित क्रियाकलापों द्वारा समर्थित किया जाना चाहिए।
          • पारंपरिक वृत्तियों में संलग्न युवाओं का स्वयं सहायता समूहों (एस.एच.जी) /उत्पादक कंपनियों में चिन्हांकन एवं सामूहिकीकरण। एस.एच.जी में औसतन 20 सदस्य होंगे।
          • युवाओं के कौशल स्तर (डोमेन प्रशिक्षण, उद्यमशीलता प्रशिक्षण, सॉफ्ट स्किल्स, आई टी प्रशिक्षण, अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण) संवर्धन हेतु कौशल प्रशिक्षण जो एस.एच.जी को एक बाजार-उन्मुख उत्पादन मॉडल विकसित करने में सक्षम बनाएंगे।
          • राष्ट्रीय अल्पसंख्यक विकास एवं वित्त निगम (एन.एम.डी.एफ.सी) सहित विभिन्न वित्तीय संस्थानों के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए व्यावसायिक योजना के प्रस्ताव विकसित करने हेतु सहायता। इन प्रयासों के माध्यम से स्वयं सहायता समूह के लिए धन एकत्रित करना।
      2. एस.एच.जी/उत्पादक कंपनी के लिए प्रबंधन टीम को नियुक्ति में सहायता।
      3. चयनित वृत्ति आधार पर न्यूनतम 2 माह एवं अधिकतम 1 वर्ष की अवधि वाले कार्यक्रम।
      4. कौशल प्रशिक्षण को उद्योग जगत हेतु तैयारी पर ध्यान केंद्रित करना होगा एवं एन.एस.क्यू.एफ के दिशानिर्देशों के अनुरूप होना चाहिए।
    3. प्रशिक्षुओं को आधार/यू.आई.डी संख्या, यदि उपलब्ध हो, या किसी अन्य सरकारी मान्यता प्राप्त पहचान संख्या से जोड़ा जाएगा।
    4. संस्थान में नामित बाहरी प्रशिक्षुओं (पुरुष एवं महिला प्रशिक्षुओं के लिए पृथक रूप से) के लिए आवास सुविधाएं। ये प्रशिक्षण संस्थान अल्पसंख्यक समुदायों के प्रशिक्षुओं के लिए होंगे। हालांकि, समुदायों के बीच एकजुटता को बढ़ावा देने के लिए, गैर-अल्पसंख्यक समुदायों के बी.पी.एल परिवारों से 15% संबंधित अभ्यर्थियों पर भी विचार किया जा सकता है। इसके अलावा, 2.5% स्थान, अल्पसंख्यक समुदायों के दिव्यांग व्यक्तियों के लिए भी आरक्षित होंगे।
    5. स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षुओं को बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों से जोड़ा जाना।
    6. नियोजन एवं नियोजन पश्चात सहायता (पी.पी.एस)
      1. समस्त अभ्यर्थियों के लिए नियोजन सहायता एवं परामर्श सुविधा प्रस्तावित की जाएगी एवं न्यूनतम 75% अभ्यर्थियों के लिए, एवं संगठित क्षेत्र में न्यूनतम 50% का नियोजन सुनिश्चित किया जाएगा।
      2. नियोजन को यथासंभव न्यूनतम विस्थापन के साथ किया जाएगा।
      3. वरीय रूप में, संगठित क्षेत्र में पी.एफ, ई.एस.आई आदि जैसे संबद्ध लाभों के साथ नियोजन होना चाहिए।
      4. किन्तु चूंकि निर्माण जैसे कुछ सेक्टर अधिक संगठित नहीं हैं किन्तु इनमें वेतन, प्रायः संगठित क्षेत्र से अधिक होते हैं; इसलिए निम्नांकित शर्तों के अधीन अनौपचारिक क्षेत्र में नौकरियों पर विचार किया जाएगाः
          • किसी विशेष नौकरी में अभ्यर्थी द्वारा अर्जित कौशल को मान्यता दी गई हो।
          • भविष्य की दिशा में समुचित प्रगति संभावित हो।
      5. निम्नांकित शर्तें पूरी होने पर ही अनौपचारिक क्षेत्र में नियुक्ति पर विचार किया जाएगाः
          • राज्य द्वारा निर्दिष्ट न्यूनतम वेतन का आश्वासन देने वाला एक प्रस्ताव पत्र।
          • नियोक्ता से इस आशय का प्रमाण पत्र कि न्यूनतम वेतन के अनुसार वेतन का भुगतान किया जा रहा है।
          • नौकरियां पूर्णतः अस्थायी नहीं होनी चाहिए एवं उनमें स्थायित्व होना चाहिए।
      6. यदि अभ्यर्थी प्रशिक्षण के पश्चात निरंतर न्यूनतम 3 माह तक नौकरी में बना रहता है तो उसे नियोजित माना जाएगा। निम्नांकित दस्तावेजों में से कोई एक होना, नियोजन का प्रमाण माना जाएगा:
          • नियोक्ता द्वारा जारी वेतन पर्ची।
          • वेतन जमा होने के विवरण के साथ अभ्यर्थी के बैंक खाते का खाता विवरण।
          • अभ्यर्थी के नाम से, एवं वेतन विवरण वाला पत्र
      7. पी.आई.ए, नियोजन पश्चात निगरानी तथा नई नौकरियों के लिए एक वर्ष प्रतिधारण सीमा का पर्यवेक्षण सुनिश्चित करेगा।
 
 

पात्रता

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  1. प्रशिक्षु अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित होना चाहिए।
  2. प्रशिक्षु की आयु 14-45 वर्ष होनी चाहिए।
  3. प्रशिक्षु की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता न्यूनतम कक्षा 5 होनी चाहिए।
  4. इस योजना के अंतर्गत निर्दिष्ट निर्धारित श्रेणियां रिक्त रहने पर इन रिक्त सीटों को अनारक्षित माना जा सकता है।
 
 

आवेदन प्रक्रिया

ऑनलाइन

आवेदन की प्रक्रिया

पी.आई.ए समस्त आवश्यक विवरण भरेगा। इसके अलावा, कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्न हैं:
 
  • प्रशिक्षु की आयु 14 वर्ष से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए
  • आवंटित प्रशिक्षु, विभाग द्वारा राज्य के लिए आवंटित प्रशिक्षु से अधिक नहीं होने चाहिए।
  • उदाहरण के लिए यदि आवंटित प्रशिक्षु 500 हैं, तो प्रशिक्षुओं के पंजीकरण 500 से अधिक नहीं होने चाहिए।
  • प्रशिक्षु अल्पसंख्यक समुदाय से संबंधित होने चाहिए।
  • प्रशिक्षु की न्यूनतम योग्यता कम से कम कक्षा 5 होनी चाहिए।
  • समस्त प्रशिक्षणों में, समस्त केंद्रों में एवं समस्त अवधियों में प्रत्येक प्रशिक्षु की विशिष्टता
  • की जांच की जा सकती है।
  • यदि प्रशिक्षु किसी बैच में आवंटित किया गया है तो उसे संपादित किया या हटाया नहीं जाना चाहिए”।
  • पहचान आधार कार्ड अद्वितीय होना चाहिए

 

 

आवश्यक दस्तावेज़

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आवश्यक दस्तावेज- पहचान का प्रमाण, पते का प्रमाण, आय का प्रमाण (अपना या अभिभावक का, यदि उपलब्ध हो), लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं।

अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल

योजना में कौन से पाठ्यक्रम प्राप्त कर सकते हैं?

कार्यक्रम की अवधि क्या होगी?



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